वासुदेव शरण अग्रवाल का जीवन परिचय और साहित्यिक परिचय
पुरातन और भारतीय संस्कृति में अमर व्याख्याता वासुदेव शरण अग्रवाल का जन्म 7 अगस्त 194 ईस्वी में लखनऊ के एक प्रतिष्ठित व्यस्त परिवार में हुआ था इन्होंने छोटी उम्र में ही उनकी बुद्धि की व्याख्याता बहुत तेज थी यह उनका बाल कल भी लखनऊ में ही गुजरात इन्होंने अपनी छोटी ही उम्र में विकास विश्वविद्यालय से बीए तथा लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी और डिलीट की इनके अध्ययन और पुरातत्व विभाग के विशेष रुचि के कारण ही इन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय पुरातन प्राची इतिहास का विभाग के अध्यक्ष के पद में कारों दिया बाद में या चार पद पर आसीन वह बहुत समय तक यह मथुरा तथा लखनऊ में संग्रहालय के क्यूरेटर भी रहे मां सरस्वती का यह अमर पुत्र सेवा में उनकी 27 जुलाई 1967 में भारत मां के चरणों में हमेशा के लिए सो गया।
इनकी कीर्तियां निम्न है
डॉक्टर अग्रवाल की निबंध रचना और शोध संपादक के क्षेत्र में उत्तर ज्योति पुत्र कल्प लता कल्पवृक्ष वेद विद्या कला और संस्कृति मातृभूमि भाग धारा आदि के निबंध संग्रह हैं पानी निकाल भारत इनके विद्वान पूर्ण शोध ग्रंथ है डॉक्टर अग्रवाल ने जायसीकृत पद्मावत का संपादन किया है इसके अतिरिक्त उन्होंने पाली संस्कृत में और प्रकृति के भी कई ग्रंथ संपादित किए
हैं। साहित्यिक योगदान
डॉक्टर वासुदेव शरण अग्रवाल ने कविता लेखन में अपना साहित्यिक जीवन प्रारंभ करके अपनी रचनाओं में योग्यता अनुभव एवं बुद्धि की असाधारण प्रतिभा द्वारा भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय के अमित चित्रों को चित्रित करते हुए अनुसंधान की तीव्र ता का भी स्पष्ट दया समावेश कर दिया यह लखनऊ तथा मथुरा के परातन संग्रहालय के निरीक्षक केंद्रीय प्राथमिक विभाग के संचालक और राष्ट्रीय संग्रहालय को भी अपने अध्ययन विषय बनाया था यह भाषा और साहित्य के कांड पंडित थे इन्होंने अपने पत्रिकाओं में अपने निबंध लेखन कर लिखकर गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया उनके लेखन अनुसार धारण का पूर्ण है तथा उन्हें भारतीय संस्कृति की गहरी छाप मिलती है और यह अपने भारतीय संस्कृति के विभिन्न अंगों से संबंधित उत्कृष्ट निबंध लिखे हैं यह केवल एक गद्य और लेखक ही नहीं परंतु बहुत बड़े इतिहासकार यानी साहित्यकार भी हैं अब तो कब प्रेमी भी है शोध निबंधों की एक मूल वन परंपरा को इन्होंने प्रारंभ किया था वह यह भारत की आजादी में बहुत सहायक थी
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